(दिनांक: 4 सितंबर, 1962)
विषय: श्री नवल किशोर सिंह द्वारा लाए गए प्रस्ताव राँची डिस्ट्रिक्ट ताना भगत रैयत्स एग्रीकल्चर लैंड्स रेस्टोरेशन (अमेंडमेंट) बिल, 1962 पर वाद-विवाद के क्रम में।
श्री कर्पूरी ठाकुर: उपाध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक के रूप में सदन में उपस्थित है, वह हमें इस बात की स्मृति दिलाता है कि यह कांग्रेसी सरकार कितना अयोग्य है। सन् 1948 ई. में यह कानून बना था, तत्कालीन राजस्व मंत्री, श्री कृष्ण बल्लभ सहाय के हाथों से यह कानून पास हुआ था और वे तत्कालीन सरकार के योग्य मंत्री माने जाते थे। 1957 ई. के अप्रैल महीने तक वे राजस्व मंत्री थे, उनके कार्यकाल में इस पर अमल हुआ। उसके बाद पंडिलत विनोदानंद झा, जो राजस्व मंत्री थे, वे एक योग्य राजस्व मंत्री थे और आज मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं। आज श्री महेश प्रसाद सिंह, इस विभाग के मंत्री हैं और उनके कार्यों को देखते हैं। 15 साल गुजर गए, 15 साल की अवधि किसी कौम की जिंदगी में कम नहीं है।
श्री नवल किशोर सिंह: आपने ताना भगत को देखा है?
श्री कर्पूरी ठाकुर: माननीय उप-मंत्री ने ठीक ही याद दिलाई है। आँखवाले तो क्या, एक अंधा भी यकीन मानेगा कि 15 साल की अवधि किसी राष्ट्र के जीवन में कम नहीं है। 15 वर्षों में तो युग परिवर्तन हो जाता है। जो सरकार परिवर्तन के लिए तैयार रहती है, जिसके हृदय में परिवर्तन की लहर चलती है, जो सरकार सामाजिक और आर्थिक दिशा में परिवर्तन करना चाहती है, वह 15 वर्षों में ऐसा काम कर देती है, जो आमतौर पर 1,500 वर्षों में भी नहीं हो पाता है। इस सरकार ने ताना भगतों के 2,300 केसेज का निपटारा 15 वर्षों में नहीं किया है। आपका बिल स्वीकार करता है कि आपके अंदर वह क्षमता, योग्यता, सहूलियत नहीं है कि जो कानून आप बनाएँ, उस पर मुस्तैदी के साथ अमल कर सकें, भले ही आप शब्दों में जो कहें। मैं समझता हूँ कि इस विधेयक पर शायद ही कोई सदस्य होंगे, जो विरोध कर सकते हैं। हम समझते हैं कि इसे सभी माननीय सदस्यों का समर्थन प्राप्त हैं आपके साथ भी जो उस बेंच पर बैठे हुए हैं, वे भी इस बात को महसूस करते हैं कि सरकार ने इस काम में लापरवाही दिखाई है। मैं अभी जोड़ रहा था कि सिर्फ 700 मामले का निपटारा आपने 15 वर्षों के किया है। आप अपने दिल में क्या महसूस करते हैं ताना भगत पिछड़े हैं, अशिक्षित हैं, अपने हितों और स्वार्थों का उन्हें ज्ञान नहीं है? जितना दिक्कत लोगों को या दूसरे लोगों को है, आप उनमें चेतना जगाते हैं।