(दिनांक: 13 मार्च, 1963)
विषय: श्री भोला पासवान द्वारा लाए गए प्रस्ताव वर्ष ‘1963-64 में लोक निर्माण के अनुदान की माँग’ पर वाद-विवाद के क्रम में।
श्री भोला पासवान:अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि-
‘‘लोक निर्माण के संबंध में 31 मार्च, 1964 को समाप्त होनेवाले वर्ष के भीतर भुगतान के दौरान में जो व्यय होगा, उसकी पूर्ति के लिए 7,67,46,200 रू. से अधिक राशि प्रदान की जाए।’’
श्री कर्पूरी ठाकुर: उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपकी इजाजत से 5 मिनट में जो समय आपने कृपापूर्वक दिया है, अपना निवेदन समाप्त करने की चेष्टा करूँगा।
मेरा विचार है कि सबसे पहली चीज जो इस सरकार को, बल्कि प्रजातंत्र की नीति को कमजोर कर रही है, वह है, सरकार द्वारा किए जानेवाले कार्यों में शिथिलता, विलंब और भ्रष्टाचार।
मैं देखता हूँ कि जो स्कीम स्वीकृत होती है और उसकी मियाद भी तय हो जाती है, लेकिन यह स्कीम समय पर कार्यान्वित नहीं होती है। मसलन राष्ट्रीय पथ को ले लें। आप देखेंगे कि चीन के आक्रमण के पश्चात् बरौनी से पूणियाँ जानेवाली सड़क पर जोर-शोर से काम हो रहा है, लेकिन उसका जो पश्चिमी हिस्सा है, बरौनी से दलसिंहसराय और दलसिंहसराय से भी पश्चिम, बहुत ही धीरे-धीरे काम हो रहा है। जहाँ इस काम को आज से दो वर्ष पहले पूरा हो जाना चाहिए था, वहाँ बहुत ही मंथर गति से इस सड़क पर काम हो रहा है। इसी तरह एक दूसरी सड़क की योजना स्वीकृत हुंई, वह है, हाजीपुर से बछवाड़ा, महनार और मोहिउद्दीननगर होते हुए। यह सड़क नेशनल हाईवे में बछवाड़ा में मिल जाती है, लेकिन इसके कार्य की प्रगति भी बहुत ही धीमी है। तीसरी सड़क समस्तीपुर से शाहपुर पटोरी तक दूसरी पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत हुई, उसे भी पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन इस सड़क में भी बहुत धीरे-धीरे काम हो रहा है। मेरा कहना है कि आप अपना लक्ष्य निर्धारित करते समय बुद्धिमानी से काम लीजिए, आपने सामथ्र्य को आँक लीजिए, अपनी योग्यता और क्षमता को ठीक से परख लीजिए। लेकिन जब आप एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं किसी स्कीम का और वह समय पर पूरा नहीं होता है तो इससे स्वयं आप अपनी अयोग्यता का ढिंढ़ोरा पीटते हैं। इसलिए मेरा कहना है कि जिस काम को आप लें, उसे ठीक समय पर पूरा करें। चैथी सड़क, जिसके बारे में मैं जिक्र करता हूँ, वह हाजीपुर, महुआ, पातेपुर होते हुए समस्तीपुर तक जाती है। यह मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले को जोड़ने वाली सड़क है। यह सड़क महुआ-जंदाहा-शाहपुर पटोरी होती हुई जाती है। एक दूसरी सड़क पातेपुर-बछवाड़ा से महनार तक आती है। ये सब सड़के ऐसी है, जिनके निर्माण में मैं चाहूँगा कि सरकार जल्द-से-जल्द ध्यान दें इसके अलावा एक सड़क है, जिसकी लंबाई 10 मील है और दो ब्लाॅक के हेड क्वार्टर को मिलाती है, जैसे ताजपुर-मोरवा हरसिंगपुर फिर एक और सड़क है, जिसकी लंबाई 12 मील है, वह भदैया, हलई, दरनीजिया होकर ताजपुर तक जाती है। यदि इन सड़कों के संबंध में जाँच-पड़ताल कर जल्द-से-जल्द योजना को स्वीकृत कर निर्माण करा दें तो सरकार का काम भी उस इलाके में बड़ी तेजी से चलेगा और जनता को भी जो कष्ट है, वह दूर हो जाएगा। मुझे आशा और विश्वास है कि सरकार अपनी परंपरागत शिथिलता को दूर करके जरा तेजी से इन सड़कों को बनवाने में कदम उठाएगी।