(दिनांक: 22 मार्च, 1966)
विषय: श्री हरिनाथ मिश्र, मंत्री सहकारिता द्वारा लाए गए सहकारिता विभाग के वर्ष 1966- 67 ई. के अनुदान की माँग पर चर्चा के क्रम में।
श्री हरिनाथ मिश्र: अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि-
‘‘सहकारिता के संबंध में 31 मार्च, 1967 को समाप्त होनेवाले वर्ष के भीतर भुगतान के दौरान जो व्यय होगा, उसकी पूर्ति के लिए 1,40,28,850 रू. से अनाधिक राशि प्रदान की जाए।’’
श्री कर्पूरी ठाकुर: अध्यक्ष महोदय, अपना भाषण प्रारंभ करते हुए माननीय सहकारिता मंत्री ने दावा किया कि विगत 3 वर्षों की अवधि में बिहार राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। कथन की पुष्टि में उन्होंने कुछ आँकड़े भी पेश किए। मैं उनकी इस उक्ति का खंडन नहीं करना चाहता हूँ कि विगत 3 वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में प्रगति नहीं हुई है। मैं भी आँकड़े के आधार पर इस कथन की पुष्टि करना चाहता हूँ कि बिहार राज्य, हिंदुस्तान के करीब-करीब सहकारिता के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा राज्य है। इन्होंने आरंभ में कहा था कि पिछले 4-5 वर्षों के अंदर किसान को जो ऋण कृषि उत्पादन की वृद्धि के लिए दी जाती है, उसकी राशि में काफी वृद्धि हुई है। यह ठीक है कि 10 करोड़ रूपए की राशि, जो वर्तमान वित्तीय वर्ष चल रहा है, उस वर्ष में वितरित की जाएगी, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि बिहार के किसानों को 100 करोड़ रू. कृषि ऋण की आवश्यकता है, वहाँ आप 10 करोड़ रूपया वितरण कर रहे हैं! आपने वर्तमान वित्तीय वर्ष में वितरण के लिए केवल 10 करोड़ रूपया रखा है। यानी जिस किसान को दस रूपए की जरूरत होगी, उसे केवल आप एक रूपया दे रहे हैं। यह राशि कितना अपर्याप्त है कृषि का उत्पादन बढ़ाने के लिए, यह कोई भी आँखवाला देख सकता है।
अध्यक्ष महोदय, जो आँकड़े हमारे पास हैं, अगर एक-एक आइटम को सदन के सामने रखूँ तो मुझे बोलने के लिए जो समय निर्धारित है, वह सारा समय चला जाएगा। इसलिए मैं संक्षेप में महत्त्वपूर्ण आँकड़ांे को आपके सामने प्रस्तुत करूँगा। आंध्र प्रदेश में स्टेट को-आॅपरेटिव बैंक का शेयर कैपिटल रखा है 2,18 लाख रू,, आसाम में 41 लाख रू., बिहार में 58 लाख रू., जो आँकड़े उपलब्ध हैं और प्रकाशित है, 1963-64 के लिए उसे मैं रख रहा हूँ। गुजरात में 196 लाख, केरल में 67 लाख, मध्य प्रदेश में 1.57 लाख, मद्रास में 3.05 लाख, महाराष्ट्र में 4.84 लाख, मैसूर में 1.69 लाख, उड़ीसा में 46 लाख, पंजाब में 1.28 लाख, राजस्थान में 1.27 लाख, उत्तर प्रदेष में 3.89 लाख और पश्चिम बंगाल में 93 लाख। अगर आप इन आँकड़ों की तुलना करें तो इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि आसाम और उड़ीसा को छोड़कर बिहार राज्य का कैपिटल सबसे कम है। नागालैंड और जम्मू-कश्मीर बहुत छोटे राज्य हैं और उनकी जनसंख्या नगण्य है। डिपाॅजिट में आंध्र में 3.51 लाख रू., आसाम में 6.29 लाख रू., बिहार में 2.99 लाख रू., गुजरात में 8.13 लाख रू., केरल में 1.40 लाख रू., मध्य प्रदेश 5.74 लाख रू., महाराष्ट्र में 35.65 लाख रू., मैसूर में 4.68 लाख रू., उड़ीसा में 2.23 लाख रू., पंजाब में 3.95 लाख रू., राजस्थान में 85 लाख रू., उत्तर प्रदेश में 19.17 लाख रू. और पश्चिम बंगाल में 3.94 लाख रू.। राजस्थान, उड़ीसा और केरल को छोड़कर हमारे बिहार का डिपाॅजिट सबसे पीछे है।
अध्यक्ष: चपरासी को वहाँ नहीं खड़ा होना चाहिए। सामने आकर कागज माँगना चाहिए।
श्री कर्पूरी ठाकुर: लोन एडवांस जो दिया गया है, वह इस प्रकार है-
आंध्र में 25,20 लाख, आसाम में 12,00 लाख, बिहार में 4,75 लाख, गुजरात में 33,61 लाख रूपए, केरल में 8,01 लाख, मध्य प्रदेश में 25,84 लाख रूपए, मद्रास में 39,84 लाख रूपए, महाराष्ट्र में 77,16 लाख रूपए, मैसूर में 18,06 लाख, उड़ीसा में 5,79 लाख रूपए, पंजाब में 12,11 लाख, राजस्थान में 4 करोड़ 72 लाख, उत्तर प्रदेश 37 करोड़ 67 लाख और वेस्ट बंगाल का 5 करोड़ 80 लाख हैं इसमें एक प्रांत को छोड़कर सारे राज्यों में बिहार पीछे है। यह उल्लेखनीय है कि जनसंख्या बहुत सें प्रांतों से ज्यादा है, लेकिन जो प्रांत जनसंख्या में पीछे हैं, वह इस काम में हमसे बहुत ज्यादा हैं, अगर सेंट्रल को-आॅपरेटिव बैंक के शेयर कैपिटल, डिपोजिट्स और लोन एडवांस के आँकड़े को हम देखते हैं तो यह स्थिति करीब-करीब ऐसी ही है। अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो मैं इन प्रांतों के आँकड़े पढ़ दूँ। सेंट्रल को-आॅपरेटिव बैंक के शेयर कैपिटल इन प्रांतों को देखा जाए-आंध्र प्रदेश को 5 करोड़ 26 लाख, आसाम को 41 लाख, बिहार का 1 करोड़ 7 लाख, गुजरात का 7 करोड़ 48 लाख, केरल 1 करोड़ 71 लाख, मध्य प्रदेश का 4 करोड़ 22 लाख, मद्रास का 7 करोड़ 39 लाख और पश्चिम बंगाल का 1 करोड़ 35 लाख। इसमें भी आप देखेंगे कि एक राज्य को छोड़कर बिहार और सभी राज्यों से पीछे हैं। इसी तरह डिपाॅजिट देखा जाए-आंध्र प्रदेश का 8 करोड़ 17 लाख, आसाम का 25 लाख, बिहार का 1 करोड़ 95 लाख, गुजरात का 28 करोड़ 88 लाख, केरल का 4 करोड़ 10 लाख, मध्य प्रदेश का 13 करोड़ 85 लाख, मद्रास का 17 करोड़ 20 लाख, महाराष्ट्र का 49 करोड़ 83 लाख, मैसूर का 13 करोड़ 34 लाख, उत्तर प्रदेश का 15 करोड़ 3 लाख और पश्चिम बंगाल का 3 करोड़ 22 लाख हैं। डिपोजिट की यह हालत है।