(दिनांक: 27 जून, 1967)
विषय: श्री कर्पूरी ठाकुर द्वारा दिनांक 26.06.1967 ई. की लाए गए प्रस्ताव बिहार विनियोग (संख्या-2) विधेयक, 1967 ई. को पुनः स्थापित करने की अनुमति पर।
श्री कर्पूरी ठाकुर: अध्यक्ष महोदय, कल और आज दो दिनों के वाद-विवाद में इस सदन के अनेक माननीय सदस्यों ने भाग लिया और कहीं-कहीं सरकार की नीतियों की उन्होंने आलोचना की। उन्होंने कभी-कभी मंत्रियों के ऊपर कुछ आक्षेप किया और कई बहुमूल्य सुझाव भी, चाहे इस तरफ से सदस्यगण हों, चाहे उस तरफ के हों, दिए। जिन सदस्यों ने इस वाद-विवाद में भाग लिया, सचमुच मैं उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। समयाभाव इतना है कि जो सवाल उनके द्वारा उठाए गए हैं, उनका उत्तर देना इस सीमित समय के अंदर मेरे लिए संभव नहीं है; लेकिन मैं यह आश्वासन देना चाहूँगा कि उनके सुझावों से, उनके रचनात्मक विचारों से सरकार यथासंभव लाभ उठाएगी।
अभी-अभी जब माननीय विरोधी दल के नेता बोल रहे थे तो उन्होंने कहा कि आप लोग अपने पाप से जाएँगे। इसके जवाब में मुझे एक देहाती कहावत याद आ गई। गाँव में लोग कहा करते हैं, किसी के शाप से कोई नहीं मरता है, कसाई के शाप से गाय नहीं मरती है। चाहे विरोधी दल के माननीय नेता जितना भी शाप देना चाहें, हमको दें, हमको इसके लिए गम नहीं है, हमको इसके लिए रंज बिल्कुल नहीं है; लेकिन मैं मानता हूँ कि चाहे और जो कुछ हो, आज जिन पार्टियों की सरकार यहाँ बनी है, जिन पार्टियों का सहयोग इस सरकार को प्राप्त है, एकाध पार्टी के लोग इसमें नहीं है, निर्दलीय सदस्य इसमें नहीं हैे, लेकिन जिनका भी सहयोग इस सरकार को प्राप्त है, यह स्थिति बनी रहेगी और आगे चाहे जो कुछ भी हो, लेकिन अगले 5 वर्ष के अंदर कांग्रेस पार्टी की सरकार का मुँह आप लोग नहीं देखने वाले हैं।
अध्यक्ष महोदय, राजा कामाख्या नारायण सिंह के विरूद्ध और श्री बसावन सिंह के विरूद्ध कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मैं चाहता था कि वे आज पटना में माॅैजूद होते और इस सदन में आकर इस सदन की सेवा में अपना निवेदन करते और जो आरोप उनके विरूद्ध लगाए गए है, उनका वे स्वयं खंडन करते, मगर अफसोस है, वे यहाँ नहीं हैं। लेकिन मैं समझता हूँ कि कल या परसों जब वे पटना आएँगे, इस सदन की सेवा में उपस्थित होंगे और जो आरोप लगाए हैं, उनके संबंध में वे स्वयं अपना स्पष्टीकरण देंगे। माननीय सदस्य श्री रमेश झा ने कहा कि सरकार को हिम्मत नहीं है, साहस नहीं है कि श्री कामाख्या नारायण सिंह के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर सके। श्री रमेश झा मेरे पुराने मित्र रहे हैं और मैं उनको क्या कहूँ। उनके संबंध में मैं केवल यही कह सकता हूँ-
‘‘बहुत बुझाई तुम्हें का कहऊँ।
परम चतुर मैं जानता अहऊँ।।‘‘
कोर्ट में मुकदमें चल रहे हैं, तब ये कहते हैं कि राजा कामाख्या नारायण सिंह के विरुद्ध यह सरकार कार्रवाई करे, यह एक असंभव स्थिति है। जब कोर्ट में मुकदमा चल रहा है तो जो कोर्ट का फैसला होगा, उस फैसले के मुताबिक मेरा विश्वास है श्री कामाख्या नारायण सिंह स्वयं उसके अनुसार आचरण करेंगे।
अध्यक्ष महोदय, रघुनंदन बाबू ने अपने क्षेत्र के अबरख (अभ्रक) उद्योग के बारे में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है और उन्होंने कहा है कि अबरख उद्योग की हालत बिगड़ती जा रही है। अबरख उद्योग की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि इस पर सरकार ध्यान दे। जैसी स्थिति वे बतलाते हैं, वैसी नहीं है। हमारे सामने जो तसवीर है, वह कुछ दूसरा है। इस तरह 1964-65, 1965-66, 1966-67 ई. में क्रमशः 1,70 लाख, 26.36 लाख और 20.80 लाख खरीद है और बिक्री है 5.9 लाख, 9.7 लाख और 25.34 लाख। इससे पता चलेगा कि अबरख उद्योग की जो तसवीर रघुनंदन बाबू ने बतलाई, यह सही नहंीं है। माइका सिंडीकेट की स्थापना हो जाने के बाद अबरख व्यापारियों को समय पर दाम मिल जाता है। माइका सिंडीकेट उच्च कोटि का अबरख तैयार करता है। अबरख उद्योग को माइका सिंडीकेट से काफी फायदा पहुँचा है। अध्यक्ष महोदय, इन सब बातों का जिक्र मैं जानबूझकर कर रहा था कि माननीय सदस्य समझ सकें कि यह सरकार अबरख उद्योग के बारे में क्या कर रही है और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में यह सरकार क्या कर रही है। अध्यक्ष महोदय, हमारा जो 33-सूत्री कार्यक्रम था, उसमें मैंने 14 कार्यक्रम को पूरा कर दिया। अब 19 कार्यक्रम बच गए हैं। तीन महीना 22 दिन की यह सरकार है। अतः इतने कम समय में इतना काम करना कोई मामूली बात नहीं हैं। आप अगर निष्पक्ष भाव से, तुलनात्मक दृष्टि से विचार करें तो इसको मानना पड़ेगा कि यह सरकार अपने 33-सूत्री कार्यक्रम को मुस्तैदी के साथ कर रही है। अध्यक्ष महोदय, मैं थोड़े में इन सभी कार्यों का उल्लेख कर देना चाहता हूँ। हमारी सरकार ने सरकारी गल्ले के द्वारा अनाज वितरण की अच्छी व्यवस्था की है। प्राइवेट स्टाॅकिस्ट सिस्टम का अंत कर देने का जो वादा हमारी सरकार ने किया था, उसे अंत कर दिया। अध्यक्ष महोदय, दूसरा वादा लेवी के मोतल्लिक हमारी सरकार ने किया था, उसको पूरा किया, इससे संबंधित जितने मुकदमें थे, उन्हें उठा लिया गया। किसान को मालगुजारी माफ करने का जो वादा सरकार ने किया, उसे पूरा करके दिखा दिया। इसके बावजूद छात्रों की फीस माफ किया गया, 90,948 कठिन श्रम योजना चलाई गई, जिसमें 52,846 पूरी हो गई। इसमें 6,21,471 मजदूर काम कर रहे हैं, जिसमें 6,85,506 लाल कार्ड अभी तक बाँटे गए हैं। हिंदुस्तान में बिहार पहला राज्य है, जहाँ केंद्रीय दर से महँगाई भत्ता देने का फैसला लिया गया है। हाँ, यह मैं मानता हूँ कि महँगाई भत्ता सभी नकद, अभी राज्य की वित्तीय स्थिति नाजुक होने के कारण नहीं दिया जा रहा है; लेकिन आंशिक रूप में दिया जा रहा है, और बाकी प्रोविडेंट फंड में जमा किया जाता हैं आज काॅलेज के शिक्षक में कंस्टीट्एंट काॅलेज और एफलिएटेड काॅलेज में जो विषमता है, उसे मैंने दूर करने का वादा किया और सिद्धांततः इसे मान भी लिया कि यह विषमता नहीं रहेगी, बशत्र्ते कि यू.जी.सी. इस पर सहमत हो जाए। सरकारी हाई स्कूल और गैर-सरकारी हाई स्कूल में जो वेतनमान की विषमता है, उसको इस सरकार ने कबूल कर लिया है। इसमें कहा गया है कि हिंदी के माध्यम से बिहार का राज-काज चले और वह हिंदी में चल रहा है। इसमें कहा गया कि चुनाव करा दिया जाएगा ग्राम पंचायत का, जिला परिषद् का, म्युनिसपैलिटी का या पंचायत- समिति का। अभी बिहार के दो जिला में चुनाव करा दिया गया है। सूखा और अकाल हमारे सामने नहीं रहता तो हमारे मंत्री सामुदायिक विकास और स्वायत्त-शासन विभाग के मंत्री, जैसा कि उन्होंने चुनाव के लिए सारा कार्यक्रम तैयार कर लिया था, इस काम को कर लिए होते, लेकिन सूखा और अकाल के चलते इस काम को स्थगित करना पड़ा। इसमें यह भी कहा गया कि नए मंत्री अपने संपत्ति का ब्योरा सदन के सामने प्रस्तुत करेंगे। इसके अनुसार हमारे मंत्रियों ने अपनी-अपनी संपत्ति का ब्योरा इस सदन के सामने प्रस्तुत कर दिया है और इससे सदन के सभी माननीय सदस्य अवगत हैं। इस तरह हम कहना चाहते हैं कि इस सरकार ने जो-जो वादा किया है, उसको पूरा किए बगैर हमें चैन नहीं है। जब तक हम एक-एक करके उनको पूरा नहीं कर लेते हैं, तब तक हमें चैन नहीं है। मैं कह दूँ कि यह सरकार मौज फिरस्ती की सरकार नहीं है, यह सरकार लिफाफा की सरकार नहीं है, यह सरकार फिजूलखर्ची की सरकार नहीं है, यह सरकार ऐशो-आराम की सरकार नहीं है, यह सरकार काम करनेवाली सरकार है। यह भोग करनेवाली सरकार नहीं है। यह सरकार योग करनेवाली सरकार नहीं है। यदि जनता भोग करेगी तो यह सरकार भोग करेगी और यदि जनता योग करेगी तो यह सरकार भी योग करेगी और जनता के सुख के लिए हम टेªजरी बेंच के लोग हों या उस तरफ के लोग हों, उनको एकजुट होकर बड़ी ही निष्ठा से इस सरकार का सहयोग करना होगा और तभी हम उनको सुख और सुविधा प्रदान कर सकेंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करता हूँ कि इस विनियोग विधेयक को स्वीकृत करने में आप सहयोग दें। अध्यक्ष-प्रश्न यह है कि बिहार विनियोग (संख्या 2) विधेयक स्वीकृत हो। तब सभा निम्न प्रकार विभक्त हुई। पक्ष में -158, विपक्ष में-93 मत पड़ा। प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।