(दिनांक: 24 मई, 1972)


विषय: टैक्स से मुक्ति ।

श्री कर्पूरी ठाकुर: क्या मंत्री, ग्राम पंचायत विभाग, क्या यह बतलाने की कृपा करेंगे कि-

(1) क्या यह बात सही है कि दंरभंगा जिलांतर्गत मोरवा प्रखंड में चक-सिकंदर गाँव की श्री फगुनी साह के पास अभी पाँच वर्षों से बैलगाड़ी नहीं रहने पर भी बैलगाड़ी टैक्स के लिए बार-बार नोटिस जाती रहती है और उनसे बैलगाड़ी का टैक्स वसूल किया जाता है?

(2) यदि उपर्युक्त खंड का उत्तर स्वीकारात्मक है तो श्री फगुनी साह को दी गई नोटिस और उन्हें हमेशा के लिए टैक्स से मुक्त करने के संबंध में सरकार कौन सी कार्रवाई करने का विचार रखती है?

श्री राम लखन सिंह यादव: अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न को ले लिया जाए, पाँच-पाँच साल से गरीब आदमी पर नोटिस सर्व हो रहा है और विरोधी दल के नेता ने इस प्रशन को रखा है।

अध्यक्ष: लीडर इतना जवाबदेह है कि उन्होंने मुझे इसकी सूचना भी नहीं दी।

(श्री राम लखन सिंह के पूछने पर उत्तर दिया गया)

श्री दिनेश कुमार सिंह: 1966-67 से बैलगाड़ी-कर नहीं दिया गया है।

श्री जनार्दन तिवारी: अध्यक्ष महोदय, वहाँ चोर सब बैठे हुए हैं और गरीबों को परेशान कर रहे हैं।

श्री राज मंगल मिश्र: अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने ‘चोर’ शब्द का व्यवहार किसके लिए किया है।

श्री जनार्दन तिवारी: मैंने मैदान में अधिकारीगण के विषय में कहा कि टैक्स नाजायज ढंग से लगाकार किसानों को तबाह कर रहे हैं।

श्री दिनेश कुमार सिंह: 1966-67 से श्री फगुनी साह ने बैलगाड़ी का टैक्स नहीं दिया है और यह माँग पंजी में दर्ज है।

(2) गाड़ी हटा देने पर अपना नाम रजिस्टर से हटाने के लिए आवेदन-पत्र देना होता है, जो तीन साल से प्राप्त नहीं हुआ है।

आवेदन-पत्र प्राप्त होने पर जिला बोर्ड द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी और उनका नाम हटा दिया जाएगा।

श्री हुकुमदेव नारायण यादव: क्या यह बात सही है या नहीं कि जिला बोर्ड के अधीन असेसर होते हैं, जो टैक्स का डिमांड लिस्ट तैयार करते हैं और उसकी सूची जिला पार्षद को देनी पड़ती है? क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं थी कि उनका नाम लिस्ट से हटा दें?

श्री दिनेश कुमार सिंह: नियम ऐसा है कि जब गाड़ी रखता है तो उसका नाम पंजी में दर्ज हो जाता है और गाड़ी न रखने पर वह स्वयं आवेदन देकर रजिस्टर से नाम हटवा लेता है, ओनर का भी ऐसा ही कर्तव्य है।

अध्यक्ष: आप समझते हैं कि दोनों तरफ से जोर लगाया जाए?

श्री त्रिपुरारि प्रसाद सिंह: सवाल जो पूछा जाता है और सरकार उसका कोई उत्तर देती है तो उस प्रश्न की इन्क्वायरी होती है। माननीय सदस्य के द्वारा यह प्रशन पूछा गया तो क्या अधिकारियों की ओर से इसकनी इन्क्वायरी हुई्र है कि उक्त व्यक्ति के पास बैलगाड़ी है या नहीं?

श्री दिनेश कुमार सिंह: प्रशासन से इसका उत्तर माँगा गया था और यह सूचना माँगी गई कि इसकी जाँच करके सूचित करें।

अध्यक्ष: आप इसकी जाँच करा लें।

श्री सभापति सिंह: क्या सरकार को इसकी जानकारी है कि इस तरह की जो पद्धति अपनाई जाती है, पंजी को प्रमाणीकृत नहीं किया जाता है, बल्कि असेसर गलत ढंग से जिसके पास गाड़ी नहीं होती है, ऐसे लोगों का नाम भी दर्ज कर देता है?

अध्यक्ष: यह व्यापक प्रशन है।

श्री सभापति सिंह: क्या सरकार चाहती है कि जो पंजी बनाई गई है, उसको प्रमाणीकृत करने के लिए ग्राम पंचायत से प्रमाण-पत्र ले लें?

अध्यक्ष: यह प्रश्न नहीं उठता।