(दिनांक: 15 फरवरी, 1955)


विषय- महामहिम राज्यपाल द्वारा दिनांक 14.02.1955 ई. के अभिभाषण के पश्चात् श्री केदार पांडेय द्वारा लाए गए कृतज्ञता प्रस्ताव पर श्री कर्पूरी ठाकुर का भाषण।

श्री केदार पांडेय: मैं प्रस्ताव करता हूँ कि-
‘‘इस सभा के सदस्य राज्यपाल के अभिभाषण के लिए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।’

श्री कर्पूरी ठाकुर: अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल को इस सदन में दिए गए भाषण के लिए धन्यवाद देने को खड़ा हुआ हूँ। लेकिन मुझे खेद है कि राज्यपाल महोदय को जिन बातों का उल्लेख करना चाहिए था, उन्होंने अपने भाषण में उल्लेख नहीं किया।

उपाध्यक्ष महोदय, आपको पता है कि अपने प्रांत के आठ जिलों में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन पूर्णरूपेण हो चुका है। जब सरकार की तरफ से इस बात की घोषणा हुई कि उन आठ जिलों की जमींदारियाँ खत्म होनेवाली हैं, तो उन जिलों के जमींदारों के हृदय में डर पैदा हो गया, उनके दिल में एक दहशत पैदा हो गई। वे इस बात से डर गए कि वे हजारोहजार पेड़ जो उनके थे, अब सरकार के हाथ में जानेवाले हैं। फलस्वरूप जमींदारों ने बड़े पैमाने पर उन जिलों में पेड़ काटना शरू किया और उनकी देखा-देखी काश्तकारों ने भी ऐसा करना शुरू किया। अध्यक्ष महोदय, सरकार पिछले कई वर्षों से इस बात का आंदोलन चला रही है कि अधिकाधिक संख्या में पेड़ लगाए जाएँ। हमारे मंत्रिगण गाँव में जाकर पेड़ लगाते रहे हैं और उनके सहयोग से, सही या गलत पेड़ों का लालन-पालन होता रहा है। तीसरे साल माननीय राजस्व मंत्री ने राँची में एक बैठक बुलाई थी, जिसमें इस प्रांत के कुछ सभासद और जंगल विभाग के अफसर आए थे। उसमें यह निर्णय किया गया था कि उत्तर बिहार में और दक्षिण बिहार में जंगल लगाए जाएँ, योजना तैयार की जाए। खेतों के आर पर, सड़क के दोनों किनारों पर पेड़ लगाए जाएँ, ऐसी बातें तय की गई ािथीं। तो अध्यक्ष महोदय, एक तरफ तो नए जंगल लगाने की बात कही जाती है और दूसरी ओर पुराने पेड़े काफी तादाद में काटे जा रहे हैं। आज से दो महीने पहले मैंने इस सदन में एक अल्पसूचित प्रशन द्वारा माननीय राजस्व मंत्री से यहा माँग की थी कि जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उन पर रोक लगाई जाए। मैंने दरभंगा के कलक्टर के पास लिखकर और व्यक्तिगत रूप से भी यह कहा था कि बड़ा अँधेरा हो रहा है, आप पेड़ों को काटने से रोकें, परंतु इसका कुछ भी प्रभाव नहीं हुआ। आज भी उस तरह से पेड़ काटे जा रहे हैं। मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि यदि सरकार ने जल्द-से-जल्द कोई कारगार कार्रवाई नहीं की तो जंगल शीघ्र समाप्त हो जाएँगे। मैं सरकार से जानना चाहता हूँ कि सरकार ने कोई विज्ञप्ति क्यों नहीं प्रकाशित कर दी, जिससे उनका डर दूर हो जाए और जिस दहशत की वजह से वे पेड़ों को काट रहे हैं, वह दूर हो जाए? ऐसा यदि आप कर दें तो मेरा विश्वास है कि पेड़ों का कटना रुक जाएगा।

उपाध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल ने अपने भाषण की अंतिम पंक्तियों में कहा है कि सरे राज्य में रचनात्मक कार्य गूँज रहा है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि इस राज्य में पंद्रह जगहों पर सामूहिक विकास योजना चल रही हैे और चैंतीस जगहों पर नेशनल एक्सटेंशन सर्विस चल रहे हैं। मैं नहीं जानता कि जिन जगहों पर सामूहिक विकास का कार्य चल रहा है, वह किस तरह से चल रहा है? मैं सभी जगहों के विषय में नहीं बता सकता कि वहाँ की क्या हालत है? योजना के कामों की किस तरह प्रगति हो रही है? लेकिन अध्यक्ष महोदय, एक दृष्टांत मैं पूसा, सकरा और समस्तीपुर सामूहिक विकास योजना का दे देना चाहता हूँ। अध्यक्ष महोदय, 2 अक्तूबर, 1952 ई. को यह योजना शुरू हुई थी और जहाँ तक मुझे याद है, इसके लिए 39 लाख रुरूपए खर्च होनेवाले हैं। आज देो महीने से अधिक समय बीत गए और सिर्फ सात-आठ महीने, तीन साल पूरे होने में बाकी हैं। इस अवधि के बीच सभी रुपयों को खर्च हो जाना था। अब तक सिर्फ 17 लाख 76 हजार 5 सौ 43 रुपए खर्च हो पाए हैं। यानी सिर्फ आधी से भी ज्यादा कम अभी तक बची हुइ्र्र है। अगर मैं आपके सामने विस्तारपूर्वक आँकड़ों को पेश करूँ तो पता चलेगा, कि कृषि के मद में 2 लाख 28 हजार रुरूपये बचे हुए हैं। इसी तरह पशुपालन में 45 हजार, सिंचाई में 10 लाख 50 हजार, ग्रामीण स्वास्थ्य में 4 लाख 50 हजार, शिक्षा में 4 लाख और यातायात के मदों में 4 लाख 61 हजार रुपए बाकी हैं। मैं जानता हूँ कि गाँवों में बहुत जगहों पर ट्यूबवेल लगा दिए गए हैं, लेकिन आज तक उन्हें बिजली न मिल पाई, जिससे सिंचाई का प्रबंध नहीं हो सका। रब्बी की फसल मारी गई, धान की फसल सूख गई, मकई की फसल जाती रही, मगर आज तक सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इस तरह दो-दो फसलें, तीन-तीन फसलें मारी गईं, लेकिन आज तक लोगों को पानी न मिला पाया। अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि कितने धीरे-धीरे काम होते हैं! इसकी जवाबदेही किस पर हो सकती है? मैंने पता लगाने की कोशिश की और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि इसके दो मुख्य कारण हैं। एक कारण तो यह है कि टेक्निकल पर्सनल, इंजीनियर्स, ओवरसियर वगैरह नहींु मिलते हैं। दूसरी वजह है घूसखोरी। मैं पूरी जवाबदेही के साथ कहना चाहता हूँ कि सामूहिक विकास योजना पूसा, सकरा और समस्तीपुर का जहाँ तक संबंध है, वहाँ घूसखोरी नहीं होती है। लेकिन जहाँ तक इंजीनियरिंग डिपाटमेंट का ताल्लुक है, काम होता है, मगर नापी नहीं होती है और चार-चार महीने तक पेंमेंट के लिए लोगों को दौड़ना पड़ता है। जिस तरह से पी.डब्लू.डी. में घूस लिया जाता है, उसी तरह से सामूहिक विकास योजना के इंजीनियरों के अंदर घूसखोरी है। अगर इसकी मजबूती के साथ सामना नहीं किया गया, अगर भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया गया तो मेरा पक्का विश्वास है कि जो काम आप तेजी से चलाना चाहते हैं, वह नहीं चल सकता है। अध्यक्ष महोदय, मुझे अफसोस है कि राज्यपाल महोदय ने इसका जिक्र अपने भाषण में नहीं किया, कम्युनिटी-प्रोजेक्ट पर जितने रुपए खर्च करने के लिए दिए गए हैं, वे क्यों नहीं खर्च अभी तक हो पाए हैं? इसका कोई भी तर्क भाषण में उन्होंने नहीं दिया है। एक माननीय सदस्य ने कहा था कि हर डिपार्टमेंट में जो भ्रष्टाचार है, इसके चलते काम नहीं हो रहा है।

हरिजन लोग जब कुएँ के लिए दरखास्त देते हैं और जब तक हरिजन इंस्पेक्टर इसको पास नहीं करता है, तब तक उनको पैसा नहीं मिलता है। दूसरे इंस्पेक्टर बिना पैसा घूस में लिये हुए इनकी दरखास्त को मंजूर नहीं करते हैं। आॅफिस में भ्रष्टाचार अंचल अधिकारी के आॅफिस में भ्रष्टाचार, सब ही जगह भ्रष्टाचार है। एक जमींदारी खत्म हो गई, लेकिन दूसरी जमींदारी पैदा हो गई है। जनता कांग्रेस भाइयों को भी अच्छी तरह से नहीं देखती है। अंचल अधिकारी के आॅफिस में कागज दाखिल करने जाते हैं, तो उनसे चार-पाँच रुपए घूस लिया जाता है। मैंने देखा है कि एक फाॅर्म, जिसका दाम एक पैसा था, उसके लिए दस, बारह आने और एक रुपया तक घूस लिया गया है। हमारी पार्टी के लोगों ने आॅफिस में तीन दिन तक पिकेंटिंग किया, तब वहाँ के स्टाफ ने घूस लेना बंद किया। आज सब जगह भ्रष्टाचार है, यदि इतने बड़े पैमाने पर भं्रष्टाचार चलता रहेगा, तो आगे क्या होनेवाला है? राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा कि सरकार शासन का नया ढाँचा बनाने जा रही है, नए कर्मचारियों को बहाल करने जा रही है, सब-डिप्टी कलक्टर बहाल करने जा रही है। जो नए अफसर आनेवाले हैं, यदि उनके अंदर भी घूसखोरी की बीमारी चली तो आगे क्या होगा? जमींदार के पटवारी तो अन्याय करते थे, वे खस्सी, बकरी, घी, दूध, तरकारी इत्यादि घूस में लेते थे। यदि ये नए कर्मचारी भी घूस लेना शुरू करेंगे, तो लोग कहेंगे कि एक जमाना गया और दूसरा जमाना आया है! लेकिन जमाने में कोई तब्दीली नहीं हुई है। लोग कहेंगे कि एक टिरैनी गई, लेकिन दूसरी टिरैनी हमारे ऊपर चढ़ बैठी है। इसलिए उपाध्यक्ष महोदय, हमको और आपको गंभीरतापूर्वक सोचना पड़ेगा कि वह नया ढाँचा शुद्ध हो, स्वच्छ हो।

कोसी के बारे में यह कहा गया है कि इसका काम सुचारु रूप से चल रहा है। मैं जानता हूँ कि जिस दिन हमारे श्रद्धेय मुख्यमंत्री कोशी योना का श्रीगणेश करने गए थे, उस दिन बहुत से लोग वहाँ थे और उनमें बहुत उत्साह था। पहले दिन वहाँ हजारोहजार की संख्या में लोग आए थे, लेकिन दूसरे दिन लोग घटे और तीसरे दिन कुछ और घट गए। मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारा प्लानिंग इस तरह का होना चाहिए कि हमारा काम आगे बढ़े, पीछे नहीं हटे। देोपहर के पहले हमारी छाया लंबी रहती है, लेकिन यही छाया दोपहर के बाद छोटी हो जाती है और हमारा काम भी अपराह्न की छाया की तरह होना चाहिए। लोगों के घटने का कारण यह है कि हमारा प्लानिंग ठीक नहीं था। यदि वहाँ सौ या पाँच सौ आदमियों का एक टीम बना दिया जाता है, हर टीम में कुछ टेंªड आदमी रख दिए जाते हैं और उसका एक कैप्टन होता, तो काम तेजी से आगे बढ़ता। ऐसे लोगों को उसमें रखना चाहिए था, जो लोगों में केवल जोश ही पैदा नहीं करें; बल्कि जोश को कायम रखें।


Public enthusiasm is a short lived affair.


उपाध्यक्ष: आपका समय खत्म हो रहा है।

श्री कर्पूरी ठाकुर: हाई स्कूल के विद्याथी पच्चीस रोज तक वहाँ एक नाला खोदते रहे, यह बात सही है कि उनके खाने-पीने का इंतजाम सरकार की तरफ से था। ये लोग मुजफ्फरपुर के एक अफसर श्री सिंह ने संचालन में काम कर रहे थे। येै लड़के आॅक्जिलियरी कैडेट कोर के थे। काम करने से इनकी तंदुरुस्ती भी अच्छी हो गई। ऐसा कोई भी लड़का नहीं था, जिसका वजन पाँच पाउंड से पच्चीस पाउंड तक नहीं बढ़ा हो। कोशी में चीन की नकल, श्रमदान के मामले में किया गया। यहाँ युगोस्लाविया की नकल की जाती है। वहाँ लोगों को केवल काम में झोंक ही नहीं दिया जाता है, बल्कि बैच बनाकर उनको एक कैप्टन के अंदर रख दिया जाता है, उनके मनोंरजन का भी इंतजाम किया जाता है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार एक प्लान बनाकर कोशी योजना को कार्यान्वित करेगी।

उपाध्यक्ष: अब आपका समय खत्म हो गया।