(दिनांक: 9 जुलाई, 1980)
विषय: मुख्यमंत्री डाॅ. जगन्नाथ मिश्र द्वारा वर्ष 1980-81 के बजट उपस्थापन के बाद सामान्य बजट पर वाद-विवाद के क्रम में नेता विरोधी दल का भाषण।
श्री कर्पूरी ठाकुर: अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं शराबबंदी के संबंध में अपना विचार व्यक्त करना चाहता हूँ। चार जुलाई को हम लोगों ने इस सदन से बहिर्गमन किया था इस प्रश्न पर, जब मुख्यमंत्री बोल रहे थे, शराबबंदी पर, जो पूर्णरूप से इस प्रदेश में लागू है, खत्म करना चाहते हैं। वे अंत में एक आई.ए.एस. आॅफिसर की उक्ति का हवाला दे रहे थे। अध्यक्ष महोदय, स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय संग्राम के एक सिपाही की हैसियत से महात्मा गांधी के साथ जो भावात्मक संबंध रहा है, उस संबंध के नाते और गरीबों के, हरिजनों के, आदिवासियों के सुख और कल्याण का खयाल करनेवाला होने के नाते, मैं चाहता हूँ कि बिहार सरकार का जो पहले का निर्णय है, उसी निर्णय को, पूर्ण शराबबंदी के निर्णय को कायम रखना चाहिए। इसके विरुद्ध में जो भी दलील दी जाती हैं, वह दलील आदिवासी, हरिजन और गरीबों को बेहद नुकसान पहुँचाने वाली दलील हैं। राज्य सरकार के कोष में भंडार में कुछ करोड़ रूपए आ सकते हैं, मगर करोड़ों आदिवासी, हरिजन और गरीबों का नुकसान होता है, इसका अंदाज मुश्किल है। उस रोज कहा गया था कि हम लोगों की पहले यह नीति बनी थी कि चार वर्षों में शराबबंदी की जाएगी। यह सही बात है, पहले यह निर्णय हम लोगों ने किया था; लेकिन अनुभव ने यह दिखलाया कि अगर हम शराबबंदी को इस चरण की अवधि के कार्यक्रम के अनुसार चलाते हैं-चार वर्षों में शराबबंदी करते हैं तो इसमें सफलता प्राप्त करना अत्यंत कठिन है। यह अनुभव किया गया कि अगर हम एक-एक चरण में, कुल मिलाकर चार चरण में पूर्ण नशाबंदी प्राप्त करते हैं, तो इस कार्यक्रम में इतने छेद हैं कि उन्हें भर सकता बड़ा मुश्किल है। इसलिए जब एक चरण लागू हो चुका था और दूसरा चरण लागू होनेवाला था, तब हम लेागों ने सोचा कि अच्छा है कि इसे दो और चरण में जो लागू करेंगे, एक ही साथ पूर्ण नशाबंदी का कार्यक्रम लागू कर दें और इसके लिए ऐसा निर्णय किया गया था। मैं जानता हूँ कि राजस्थान में सर्वोदय के महान नेता 25-30 दिनों तक अनशन किया था पूर्ण नशाबंदी करने के लिए, वह श्री भट साहब थे। मुझे डर लग रहा है कि अगर बिहार सरकार शराब नीति को पलट देगी तो कहीं ऐसा न हो कि बिहार में सर्वोदय के लोगों में कुछ लोग खड़े हो जाएँ, अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाएँ। लेकिन अध्यक्ष महोदय, कोई जान दे, या नहीं दे, इतना तो मानना ही पड़ेगा कि नैतिक दृष्टि से और इससे भी बढ़कर गरीबों के कल्याण, गरीबों की भलाई की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नशांबंदी का जो निर्णय था, वह निर्णय सही था। जो आज पूर्ण नशांबंदी लागू है, वह सही है और इस निर्णय को बिहार सरकार को कायम रखना चाहिए। मैं इस सदन में मौजूद था, जब कुछ रोज पहले तो कांग्रेस पार्टी के ही एक आदिवासी माननीय सदस्य भाषण कर रहे थे और उनकी यह दलील थी कि चाहे जो कुछ हो, जो पूर्ण नशाबंदी लागू किया गया है, उसमें कोई रद्दोबदल नहीं होना चाहिए, कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। अध्यक्ष महोदय, मैं जानता हूँ कि एक-एक आदिवासी सदस्य जो इस सदन में है, उनकी भी यही राय होगी। बाहर भी मुझे आदिवासी सदस्यों से बातचीत करने का मौका मिला था अपने समय में, तो मैंने यह देखा था कि उन सभी की राय थी कि पूर्ण नशाबंदी राज्य में लागू होना चाहिए। जितने गरीब हैं, नैतिक दृष्टि से सोचनेवाला है, दीन-दुःखियों का शुभचिंतक है, उनकी एक ही राय है। इसके पहले इस सदन के वरिष्ठ सदस्य राम लखन बाबू भी यह बात कह रहे थे। मैं आशा ही नहंीं, विश्वास करता हूँ कि बिहार सरकार किसी दूसरे उद्देश्य से या किसी दूसरी भावना से काम करेगी और जो काम शुरू किया गया है, बिहार में जो गांधीवादी कार्यक्रम है, जो कांग्रेस पार्टी का कार्यक्रम है, जो राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम का कार्यक्रम है, उस कार्यक्रम को और दृढ़ता से अमल करेगी। अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात हमारे मुख्यमंत्री उस दिन कह रहे थे कि कांग्रेस के जमाने में काफी इनवेस्टमेंट हुआ है, काफी पूँजी लगाई गई है भिन्न-भिन्न कामों में, विकास के भिन्न-भिन्न कामों में, उनका यह कहना गलत नहीं है, इनवेस्टमेंट जरूर हुआ है, पूँजी जरूर लगाई गई है। अभी-अभी जनवरी में रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया की तरफ से एक स्टडी रिपोर्ट निकली है, एक अध्ययन रिपोर्ट निकली है, प्रतिवेदेन निकला है, वह अध्ययन आठ-आठ वर्षों की अवधि का है, 30 जून, 1979 ई. तक का अध्ययन है। इस अध्ययन-प्रतिवेदन में यह कहा गया है कि ‘एनुअल कंबाइड रेट आॅन ग्रोथ’ भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में क्या रहा है।
इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि शराब के क्षेत्र में 287 प्रतिशत का ग्रोथ हुआ है, परफ्यूम के क्षेत्र में 435.3 प्रतिशत का ग्रोथ हुआ है। यह ऐसी चीज है, जिसको पास में रखने में गमगम करने लगता है, वह खुशबू फैलाता है। इसी तरह से इनके समय में रेफ्रिजेटर का ग्रोथ हुआ, वाच का ग्रोथ हुआ, इलेक्ट्रिक लैंप का ग्रोथ हुआ। लेकिन कंज्यूमर्स गुड्स, जिसका इस्तेमाल आम जनता करती है, उसका ग्रोथ 3.9 प्रतिशत हुआ। मैं जानता हूँ कि देश में कांग्रेस के समय में पूँजी लाई गई, इनवेस्टमेंट हुआ। कांग्रेस के जो नए और पुराने लोग हैं, मैं उनको याद दिलाना चाहता हूँ कि यह भारत 30 वर्षों तक बनता रहा, इनके समय में लेकिन कौन बना, इसको भी मैं बताता हूँ। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया में जो पूँजी लगी है उसका स्टडी किया। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि उस पूँजी से देश के 65 करोड़ जनता बनी, उसका विकास हुआ, नहीं। इस पूँजी से देूश के कुछ ही लोग बने, इनके राज में वह इनवेस्टमेंट जो पैसे वाले हैं, जो धनवाले हैं, उनके लिए किया गया और उनके लाभ के लिए किया गया।
अध्यक्ष महोदय, यह बात मैं ज्यादा दूर तक नहीं ले जाना चाहता हूँ। अभी-अभी मैं दुहरा रहा था कि मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा है कि 1976-77 ई. का वर्ष भारत के लिए, बिहार के लिए हर क्षेत्र में सुदृढ़ता का युग था, स्वर्णिम युग था और ये कीर्तिमान हासिल किया था आर्थिक क्षेत्र में, जो उदाहरण बन चुका था। अध्यक्ष महोदय, यह तो उनका बयान है, लेकिन मैं उनके भाषण की कीमत एक पैसा भी नहीं, एक खिपटा के बराबर भी नहीं लगाता हूँ। मैं जो कुछ कहता हूँ जिम्मेदारी के साथ कहता हूँ।