(दिनांक: 17 जून, 1983)


विषय: भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री केदार पांडेय एवं भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री हुकूम सिंह के निधन पर शोक-संवेदना।

श्री कर्पूरी ठाकुर: अध्यक्ष महोदय, श्री केदार पांडेय के संबंध में आपने और सभा-नेता ने जो शोकोद्गार व्यक्त किया है, उससे महमत होते हुए मैं भी अपनी ओर से और अपने दल की ओर से उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। श्री केदार पांडेय अपने राज्य के मूर्धन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं और कांग्रेस (आई) के नेताओं में थे। जैसाकि सर्वविदित हैे उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में जबदस्त भाग लिया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें जेल की यात्रा करनी पड़ी थी और जेल में यातनाएँ भुगतनी पड़ी थीं। वे राजनैतिक कार्यकर्ता या नेता ही नहीं थे, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने चंपारण जिला खासतौर से और पूरे बिहार में आमतौर से सार्वजनिक क्षेत्र में जो कार्य किए थे, भिन्न-भिन्न रूपों में, भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियों को सँभालते हुए, उसमें उन्होंने अपनी गहरी छाप लगा दी थी। मजदूर आंदोलन से तो उनका बहुत ही निकट का संबंध था और अनेक मजदूर संगठनों से वे संबंद्ध ही नहीं थे, बल्कि अनेक अवसरों पर उन्होंने मजदूरों के आंदोलन का नेतृत्व भी किया था। इनको मैंने इस सदन में ध्यान से देखा था और बहुत नजदीक से जाना था। वे असेंबली में हमेशा अपना पार्ट अदा किया करते थे, अपन भूमिका का निर्वाह किया करते थे, सार्वजनिक प्रश्नों पर जो विचार हुआ करता था, उसे इस सदन के लोग, चाहे वे किसी दल के हों, बड़े ध्यान से सुनते थे, उस पर मनन करते थे। वे केवल राजनीति क्षेत्र के हीं नेता नहीं थे, बल्कि सामाजिक जीवन में, वे बिना किसी भेद-भाव के लोगों के साथ व्यवहार, बरताव करते थे। मैंने यह निकट से देखा था कि वे बहुत मिलनसार व्यक्ति थे और सबों के साथ, चाहे जिस दल का भी कार्यकर्ता क्यों न हो, वे बहुत अच्छा संबंध सबों के साथ रखते थे। यहाँ सरकार में रहते हुए भी मैंने देखा था, वे जनहित में प्रश्नों पर, न केवल अपने दल के विधायकों से, बल्कि विरोधी दल के विधायकों से सुनते थे और विरोधी दल के लोग भी जो उचित सुझाव देते थे, उस पर वे ध्यान देते थे, उसे वे सही मानकर कार्रवाई करते थे।

हम नहीं जानते थे, कोई नहीं जानता था कि उनका असामयिक निधन हो जाएगा। दुर्भाग्य से वे ऐसे रोग से ग्रसित हो गए कि उसने उनका प्राण ही ले लिया। इससे बिहार के सार्वजनिक जीवन में रहनेवालों को बहुत गहरा धक्का लगा है। स्वर्गीय श्री केदार पांडेय कांग्रेस(आई) के महान् नेता थे और इस प्रदेश के सार्वजनिक जीवन के एक महान् व्यक्ति भी थे। उनके उठ जाने से सचमुच हम लोग बहुत दुःखी हैं। हम उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, अपनी ओर से और अपने दल की ओर से तथा उनके शोक-संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं।

अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय सरदार हुकुम सिंह को सारा देश बहुत लंबे जमाने से जानता रहा है। उन्होंने भी अपने देश की सेवा भिन्न-भिन्न रूपों में की थी। पार्लियामेंट के मैंबर के हैसियत से ही नहीं, बल्कि पार्लियामेंट के स्पीकर की हैसियत से उन्होंने बड़ा ही सक्षम रोल अदा किया था। जब वे लोकसभा के स्पीकर थे, हम लोग अखबारों के जरिए जानते थे कि वे किस ढंग से लोकसभा का संचालन करते हैं। व्यंग, हास्य और मृदुलता का समिश्रण उनके जीवन में था। जो लोग उनके नजदीक थे, वे उनसे काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने पुराने जमाने को देखा था और नए जमाने को भी देखा था। 85 वर्ष तक वे जीवित रहे। 85 वर्ष में भिन्न-भिन्न तरह से समाज और देश की सेवा करते रहे। उन्होंने धार्मि्रक मतांधता को कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने माना कि सारे धर्म समान हैं, इसमें उन्होंने विश्वास किया था और यही कारण है कि उन्होंने राष्ट्र का प्रेम और स्नेह अर्जित किया था। उनके उठ जाने से देश का एक महान् सांसद, सुयोग्य प्रशासक और समानता में विश्वास करनेवाला एक नेता उठ गया। मैं उनके प्रति अपनी ओर से और अपने दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उनके शोक-संतप्त परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए संवेदना प्रकट करता हूँ।