सत्यनारायण दुदानी
(भाजपा)
अध्यक्ष महोदय, बिहार विधानसभा का सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। इस बीच पिछले सत्र से लेकर आज तक न केवल बिहार के ही अनमोल रत्न, बल्कि भारत के जो अनमोल रत्न रहे हैं, उनको हमलोगों ने खोया है। अध्यक्ष महोदय, 1969 में सर्वप्रथम मैं राजनीति में आया, विधानसभा में आया। जिन विभूतियों को मैंने खोया है, उनमें सरदार हरिहर सिंह, जो मुख्यमंत्री भी थे, माननीय कर्पूरीजी और त्रिपुरारिजी को भी मैंने देखा है। आज वे लोग हमारे बीच नहीं रहे। हमे उन लोगों से प्रेरणा ग्रहण करने का मौका भी मिला। मुझे यह भी सौभाग्य मिला कि मैंने कर्पूरीजी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में काम किया है। उनके साथ कार्य करने में, उनके तौर-तरीके में जो आनंद, जो प्रेरणा मिलती थी, वह बराबर स्मरण में रहेगी। उनके साथ रहकर मैंने तरह-तरह के कामों को किया है और विभिन्न प्रकार के अनुभव प्राप्त करने का मौका पाया। विरोधी दल के नेता थे तो उस समय भी उनके साथ काम करने का मौका पाया। मैंने श्री त्रिपुरारिजी के साथ भी काम किया है। उनकी अध्यक्षता में भी कार्य करने का मुझे अवसर मिला है।
अध्यक्ष महोदय, आज मैं इन अनमोल रत्न के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और अनुभव करता हूँ कि हमने इन दोनों सत्रों के बीच बहुत कुछ खोया है।