शिवचंद्र झा
(विधानसभा अध्यक्ष)
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, लब्ध-प्रतिष्ठ समाजवादी एवं बिहार विधानसभा के वर्तमान सदस्य, श्री कर्पूरी ठाकुर का देहांत दिनांक 17 फरवरी, 1988 को अचानक दिल का दौरा पड़ जाने के कारण उनके पटना के राजकीय निवासस्थान पर हो गया। मृत्यु के समय उनकी आयु 67 वर्ष थी। श्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिलांतर्गत ग्राम पितौंझिया में सन् 1921 में हुआ था। 1942 में जब वे बी.ए. कक्षा के छात्र थे, पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता-आंदोलन में कूद पड़े और फलतः उन्हें 26 महीने की जेल की सजा भुगतनी पड़ी। आजादी के बाद भी अनेक समस्याओं एवं आंदोलनों के सिलसिले में उन्होंने जेल की यातनाएँ सहीं। श्री कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में किया। वे 1948 से 1952 तक दरभंगा जिला कांग्रेस-सोशलिस्ट पार्टी एवं जिला किसान सभा के मंत्री और प्रांतीय किसान समिति के संयुक्त मंत्री तथा बादमें महामंत्री रहे। कालक्रम से वे बिहार राज्य सोशिलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तथा जनता पार्टी की कार्यकारिणी के शीर्ष पदों पर आसीन रहें। इस अवधि में वे इन दलों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी प्रमुख सदस्य रहे। 1963 में वे परिसीमन आयोग के सदस्य थे।
श्री कर्पूरी ठाकुर सर्वप्रथम 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। पुनः इसी क्षेत्र से 1957 एवं 1962 में प्रजा समाजवादी, 1967, 1969 एवं 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा के सदस्य बने। तत्पश्चात् 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर समस्तीपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गये। फिर 1980 में समस्तीपुर तथा 1985 में सोनवर्षा निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमशः जनता (एस) पार्टी एवं दलित मजदूर किसान पार्टी, फिर लोकदल (ब) की ओर से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे अपने संपूर्ण जीवन में सदन के भीतर एवं बाहर बिहार की दीन-हीन एवं शोषित जनता के लिए आवाज बुलंद करते रहे। श्री कर्पूरी ठाकुर 1967 में बिहार के उप-मुख्यमंत्री बने। इस अवधि में उन्होंने बहुत से क्रांतिकारी कदम उठाए। 1970 में जब बिहार में विरोधी दल की सरकार बनी तो श्री ठाकुर उसके मुख्यमंत्री बने। 1977 के आम चुनाव के बाद जनता पार्टी की सरकार में वे पुनः दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1980 से 11 अगस्त, 1987 तक वे बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता थे।
स्वतंत्रता संग्राम एवं तत्पश्चात् देश की राजनीति में स्व. कर्पूरी ठाकुर की अहम भूमिका रही। वे बिहार के सच्चे सपूत तथा संघर्ष के प्रतीक थे। वे जीवनपर्यंत अन्याय, अत्याचार तथा गरीबों के उत्थान के लिए सजग रहे। संसदीय प्रणाली में उनकी अटूट आस्था थी। स्व. ठाकुर के निधन से गरीबों एवं दलितों ने एक मसीहा तथा समाजवादी आंदोलन ने एक निष्ठावान् विचारक खो दिया है। भगवान् उनकी दिवंगत आत्मा को चिर-शांति दें तथा उनके शोक-विह्वल परिवार को इस दारूण दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
स्वतंत्रता संग्राम एवं तत्पश्चात् देश की राजनीति में स्व. कर्पूरी ठाकुर की अहम भूमिका रही। वे बिहार के सच्चे सपूत तथा संघर्ष के प्रतीक थे। वे जीवनपर्यंत अन्याय, अत्याचार तथा गरीबों के उत्थान के लिए सजग रहे। संसदीय प्रणाली में उनकी अटूट आस्था थी। स्व. ठाकुर के निधन से गरीबों एवं दलितों ने एक मसीहा तथा समाजवादी आंदोलन ने एक निष्ठावान् विचारक खो दिया है। भगवान् उनकी दिवंगत आत्मा को चिर-शांति दें तथा उनके शोक-विह्वल परिवार को इस दारूण दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।