जननायक कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देने की माँग के समर्थन में संपादक के प्रयास


अक्टूबर 2, 2007

स्थानीय समाहरणालय के समीप सामाजिक न्याय समता आंदोलन के तत्वावधान में सोमवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भरत रत्न’ से सम्मानित करने, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून बनाए जाने समेत बीस सूत्री माँगों के समर्थन में धरना का आयोजन किया गया। राज्यपाल को प्रेषित माँग-पत्र जिला प्रशासन को सौंपा गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधान पार्षद डाॅ. भीम सिंह ने कहा कि आजादी के छह दशक बाद भी आज तक अति पिछड़ों का विकास नहीं हो पाया है। आज राजनीतिक जीवन में अत्यंत पिछड़ी जातियों को उसी नजर से देखा जाता है, जिस नजर से कभी अनुसूचित जातियों को सामाजिक जीवन में देखा जाता था। डाॅ. सिंह ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा देश विश्व की छठी सामरिक शक्ति बनने के बाद ग्यारहवीं आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। परंतु विडंबना इस बात की है कि राष्ट्रीय विकास के लिए चिंतित राजनेताओं एवं योजनाकारों के प्रयास के बाद एक वर्ग आज भी गरीबी, बेरोजगारी, भूख, अशिक्षा, बीमारी तथा शोषण एवं जुल्म का शिकार है। उन्होंने कहा कि आज विश्व का सबसे बड़ा अमीर आदमी एक भारतीय है, वहीं करोड़ों भारतीय, मजबूर और जहालत की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं! डाॅ. सिंह ने कहा कि वर्षों पूर्व से ये जातियाँ शिक्षा, संपत्ति, सम्मान, सत्ता से वंचित रखी गई हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कमलेश कुमार चंद्रवंशी ने की। इस मौके पर रामजीवन ठाकुर, संजय पंडित, प्रेमा देवी, रंजना सिन्हा तथा आफताब आलम समेत कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।