मैथिली को संविधान की अष्टम सूची में सम्मिलित होने के लिए पत्र


सेवा में,
श्री शांति भूषण
विधि मंत्री,
भारत सरकार, नई दिल्ली।


विषयः भरतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में मैथिली भाषा का सम्मिलित किया जाना। 1. मैथिली बिहार राज्य की बहुत बड़ी जनसंख्या की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है और इसका अध्ययन, अध्यापन कलकत्ता विश्वविद्यालय त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल एवं बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में होता है। बिहार सरकार ने इसे बिहार लोक सेवा आयोग में समुचित स्थान प्रदान किया है, साथ ही लेखन, पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था के उद्देश्य से बिहार सरकार की ओर से मैथिली अकादमी में इसे सम्मानपूर्ण स्थान प्रदान किया है और कई बार इसके लेखकों को पुरस्कृत भी किया है।

2. फिर भी उन सारी सुविधाओं से यह वंचित है, जो अन्य मान्यताप्राप्त भाषाओं को उपलब्ध है, यथा प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम, केन्द्र से प्राप्त होनेवाले अनुदान, विभिन्न भाषाओं से अनुवाद की सुविधाएँ, विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रयोग तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार एवं संवैधानिक मान्यता की गरिमा।

3. मैथिली भाषा की व्यापकता और लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए संविधान की अष्टम अनुसूची में इसे सम्मिलित करने का पर्याप्त औचित्य है। इस संबंध में निम्नलिखित बातें ज्ञातव्य हैं।

(क) मैथिली एक जीवंत जनभाषा है। इसका प्रयोग मौखिक और लिखित, दोनों में होता है। वर्तमान और भविष्य में इसके विकास की और भी संभावनाएँ हैं। (ख) अपने विलक्षण प्रयोग, स्वतंत्र व्याकरण और लिपि एवं अन्य भाषा वैज्ञानिक दृष्टियों से मैथिली एक पृथक् स्वरूप रखनेवाली भाषा है। भाषा विज्ञान के सभी अंगों, ध्वनि, पद, वाक्य अर्थ आदि की दृष्टि से मैथिली एक पूर्ण विकसित भाषा है। साहित्य संपादन में यह देश की समकक्ष भाषाओं में एक है। (ग) मैथिली भाषा का प्रयोग बिहार के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बंगाल, मध्य प्रदेश एवं गुजरात के कुछ क्षेत्रों में तथा नेपाल के अधिकांश भागों में होता है। नेपाल के करीब तीस लाख नागरिक मैथिली भाषी हैं। यहाँ द्वितीय भाषा के रूप में मैथिली सुप्रतिष्ठित है। मैथिली भाषा-भाषियों की संख्या अपने देश में ही दो करोड़ से अधिक और नेपाल में तीस लाख है। अतः जनसंख्या की दृष्टि से मैथिली का विशिष्ट महत्त्व है। ज्ञातव्य हो कि सिंधी भाषा-भाषियों की संख्या 14 लाख मात्र है और वह संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित है। (घ) मैथिली में सांस्कृतिक चेतना की अभिव्यक्ति की पूर्ण क्षमता विद्यमान है। बिहार आकाशवाणी के सभी केन्द्रों से किसी-न-किसी रूप में मैथिली का कार्यक्रम प्रसारित होता है। इस भाषा के पत्र-पत्रिकाओं की संख्या पूर्व से और भी बढ़ती रही है। विश्वविद्यालय स्तर पर एम.ए., पी.-एच.डी., डी. लिट. आदि उपलब्धियाँ 50 वर्षों से प्राप्त होती रही हैं। अस्तु, भारत सरकार से मेरा आग्रह व निवेदन होगा कि मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में अविलंब सम्मिलित किया जाना चाहिए, जिससे बिहार की इस प्रमुख एवं समर्थ भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण मान्यता मिले और इसके सर्वांगीण विकास के लिए सभी राजकीय सुविधा प्राप्त हो सके।


भवदीय
ह. कर्पूरी ठाकुर
मुख्यमंत्री बिहार