पिता का पत्र पुत्र के नाम


दिनांक 11-01-1976

प्रिय विरेन्द्र


मैं जब से तुम से अलग हुआ हूँ, कभी बीमार नहीं पड़ा हूँ और न पडूँगा। मुझे सख्त अफसोस है कि रामनाथ और तुम बीमार पड़ा करते हो।

मैं इतना ही चाहता हूँ कि तुम बीमार नहीं पड़ो, कमजोर नहीं रहो, कायर मत बनो, खूब मेहनत से पढ़ो और सिर्फ सफलता प्राप्त करके ही नहीं, बल्कि सुयोग्य तथा सक्षम बनकर देश, समाज और परिवार के लिए कुछ करो।


भवदीय
ह. कर्पूरी ठाकुर
मुख्यमंत्री बिहार


प्रिय विरेन्द्र

मैं तुमसे केवल निम्नलिखित चीज चाहता हूँ-
1. स्वास्थ्य, चरित्र और शील-स्वभाव पर पूरा ध्यान देना।
2. खूब मेहनत से पढ़ना।
3. बहादुर, निर्भय और गरीबों का रक्षक बनना।
4. देशभक्त तथा जनतंत्र-प्रेमी बनना।
5. गाँव के झगड़ों में नहीं पड़ना।
आशा है, तु मेरी इच्छा की पूर्ति करोगे।
शुभाशीष के साथ,


तुम्हारे पिता
ह. कर्पूरी ठाकुर, 12/3