संजय गांधी


अध्यक्ष महोदय, श्री संजय गांधी की मृत्यु दुःखद है। अत्यंत दुःखद इसलिए है कि उनकी मृत्यु करीब 34 वर्ष की उम्र में हुई, जबकि वे बिल्कुल युवक ही थे। अभी वे पूरे खिले भी नहीं थे कि उनकी मृत्यु हो गई। वे इस संसार से चल बसे। उनमें संगठन की क्षमता थी। उन्होंने भारतीय युवक और छात्रों का संगठन बड़े पैमाने पर किया था और अपने संगठन में जान भर दी। मैं कहना चाहता हूँ कि वे एक बहादुर आदमी थे। अंग्रेजी में इसे ‘रेकलस’ कहा जाता है। वे लापरवाह थे। अगर उनके द्वारा लापरवाही नहीं होती तो शायद वे इतनी जल्दी इस दुनिया से नहीं जाते। इनकी मृत्यु का दर्द कोई माँ ही जान सकती है। एक कवि ने बहुत वर्ष पहले लिखा था कि मूल्य है बने-बेटे का प्यार माँ के हृदय से पूछो। श्रीमती इंदिरा गांधी को बहुत बड़ा सदमा पहुँचा है और इस सदमें में हम लोग भी उनके साथ हमदर्द हैं। मैं अपनी ओर से तथा अपने दल की ओर से उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। अध्यक्ष महोदय, सदन-नेता ने जो पार्टी के बारे में कहा मुकदमें वगैरह के सिलसिले में, वैसे विवादास्पद विषय को उठाने में मैं अभी नहीं पडँूगा, चूँकि यह मर्यादा के अनुकूल नहीं है। मैं दिवंगत आत्मा के प्रति अपनी ओर से और अपने दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी संवेदना भेजता हूँ।