एम.जी. रामचंद्रन


श्री एम.जी रामचंद्रन फिल्मी दुनिया के अत्यंत आकर्षक एवं चमत्कारिक कलाकार थे। उन्होंने सिने-जगत् में जो ख्याति प्राप्त की थी, उसका लाभ उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कडगम को दिया, जिसके नेता उन दिनों श्री अन्ना दुराईजी थे।

तमिलनाडु में ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण का भेद अत्यधिक था, जैसा उत्तर भारत में नहीं था। रामचंद्रन न वहाँ पिछड़े लोगों के लिए -हरिजनों और आदिवासियों के जागरण और उद्धार का आंदोलन शुरू किया था, यद्यपि वह आंदोलन को प्रदान किया गया द्रविड़ मुनेत्र कडगम द्वारा। इस आंदोलन में अन्ना दुराई, जो स्वयं बहुत ही मशहूर सिने कलाकार थे, श्री एम.जी. रामचन्द्रन और अभी जो द्रविड़ मुनेत्र कडगम के नेता हैं श्री करुणानिधि, ये सभी सिनेमा-जगत् के बहुत ही मशहूर कलाकार रहे हैं। द्रविड़ मुनेत्र कडगम को इनके व्यक्तित्व से अत्यधिक लाभ हुआ। सबको मालूम है कि 1967 में कांग्रेस तमिलनाडु में पराजित हुई और द्रविड़ मुनेत्र कडगम का शासन बना। बाद में जब इस संगठन का विभाजन हुआ तो श्री एम.जी. रामचंद्रन के नेतृत्व में नए नाम से ‘अन्ना द्रमुक‘ के नाम से अलग शाखा खड़ी हुई और लगातार श्री एम.जी. रामचंद्रन के नेतृत्व में आज तक अन्ना द्रमुक की सरकार कायम रही। श्री एम.जी. रामचंद्रन अंग्रेजी नहीं जानते थे। मैंने मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में उन्हें बोलते सुना है। अभी जो हमारे मुख्यमंत्री हैं, श्री बिंदेश्वरी दुबे, इन्हें भी अनुभव होगा कि वे जब ‘राष्ट्रीय विकास परिषद्’ (नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल) में भाषण करते थे या मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भाषण करते थे तो तमिल में भाषण करते थे, अंग्रेजी में नहीं। यह ख्याल गलत है कि जो अंग्रेजी जानते हैं, वहीं काबिल होते हैं। यह खयाल गलत है कि जो अंग्रेजी जानते हैं, वहीं इस देश या प्रदेश का नेतृत्व कर सकते हैं। श्री कामराज और श्री एम.जी. रामचंद्रन ने इस झूठ को संसार के सामने उजागर कर दिया कि अपनी भाषा का ज्ञाता भी अपने देश और समाज का उसी प्रकार सफल नेतृत्व या संचालन कर सकता है, जैसा कोई विदेशी भाषा जाननेवाला कर सकता है।

अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूँ कि श्री एम.जी. रामचंद्रन केवल तमिलनाडु के ही नेता नहीं थे, बल्कि इस देश के भी एक महान् नेता थे और उनका उठ जाना निर्विवाद रूप से हमारे देश की बहुत बड़ी क्षति है। खासतौर से जो समाज अभी दलित है, पीड़ित है, पिछड़ा हुआ है, उसकी बहुत बड़ी क्षति हुई है।