महादेवी वर्मा


श्री कर्पूरी ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, प्रारंभ में ही मैं अपना दुःख व्यक्त करना चाहता हूँ कि जिन परलोकगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सदन में प्रस्ताव लाए गए हैं, उनमें हिंदी की सुविख्यात कवियत्री महादेवी वर्माजी के नाम का उल्लेख नहीं है। अगर राजनीति में काम करनेवालों का यह दावा हो कि वे देशसेवी व समाजसेवी होते हैं तो जो साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में काम करते हैं, वे किसी से कम देशभक्त, समाज-भक्त या मानव-भक्त नहीं हुआ करते। मैं चाहूँगा कि इसमें उल्लेख नहीं भी हो, तब भी उनके संबंध में एक अलग से अच्छी भाषा में शशेक प्रस्ताव लिख लिया जाएगा, लेकिन श्रद्धांजलि यहाँ अर्पित कर दी जानी चाहिए।