चौधरी चरण सिंह


विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। चैधरी साहब की सेवाएँ हमेशा स्मारण की जाएँगी। उन्होंने सभी क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ रखी है। देश ने अपना एक सच्चा सपूत और दलितों ने अपना हितैषी खो दिया। भारतीय राजनीति में किसान नेता के रूप में प्रसिद्ध भूतपूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के निधन से देश के किसान आंदोलन को गहरा धक्का लगा है। चैधरी चरण सिंह देश के उन गिने-चुने नेताओं में से थे, जिन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली और विशेष दृष्टिकोण के कारण अपनी अलग पहचान बना ली थी। देश के आर्थिक विकास के लिए कृषि पर आधारित आर्थिक नीति पर बल डालनेवाले चैधरी चरण सिंह बड़े-बड़े उद्योग-धंधे स्थापित करने के विरोधी थे। उनका आर्थिक दृष्टिकोण गांधीवादी था। वे भारत को गाँवों का देश मानते हुए, इस सत्य को स्वीकार करते थे कि चूँकि यहाँ की अस्सी प्रतिशत से भी अधिक आबादी गाँवों में रहती है और कृषि पर ही उनका जीवन आधारित है, अतः भारतीय अर्थतंत्र को कृषि पर आधारित होना चाहिए। जिन दिनों वे केंद्रीय मंत्री बने, उन्होंने कृषि पर बल दिए जाने का सुझाव भी दिया था। बड़े-बड़े कल-कारखाने की जगह चैधरी साहब गृह-उद्योगों का जाल बिछाने पर बल देते रहे। अपने सपनों को साकार करने के लिए चैधरी चरण सिंह जीवन भर अनुकूल राजनीतिक पृष्ठभूमि की तलाश में लगे रहे। उन्होंने कांग्रेस के झंडे तले आजादी की लड़ाई लड़ी, अनेक प्रकार की यातनाएँ सहीं। कांग्रेस से हटने के बाद चैधरी साहब का जीवन एक प्रयोगकर्ता का जीवन बन गया, जो अपने सिद्धांत के परीक्षण और उसे कार्यरूप देने के लिए उपयुक्त वातावरण की खोज में यायावर की भाँति भटकता रहा। उन्होंने अनेक बार उनके दलों का संघटन किया और अनेक दलों से वे हटे भी। उनके आलोचक भी इस बात से सहमत हैं कि उनमें सरदार पटेल जैसी दृढ़ता थी। अपनी वैचारिक दृढ़ता के कारण ही उनका अपने सहयोगियों से बहुत दिनों तक नहीं निभ सका। जनता पार्टी के विघटन के बाद थोड़े ही समय के लिए प्रधानमंत्री बने और उन्होंने लोकदल को पुनः जीवित कर अपना राजनीति मंच तैयार किया। भारतीय राजनीति में लगभग पचास वर्ष तक सक्रिय रहनेवाले चैधरी चरण सिंह पिछले दो वर्षों से पक्षाघात से पीड़ित होकर निष्क्रिय जीवन व्यतीत करने के लिए विवश थे। आज सारा राष्ट्र अपने उस दिवंगत महापुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। चैधरी साहब के राजनीतिक उत्तराधिकारी होने का दावा करनेवालों पर अब यह निर्भर करता है कि वे उनके सपने का भारत बनाने की दिशा में किस प्रकार की भूमिका अदा करते हैं। चैधरी चरण सिंह को हमारी समझ में सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उन्होंने जिस जीवन दर्शन को मूर्त रूप देने के लिए जीवन भर संघर्ष किया, उनके समर्थक उसे मूर्त रूप देने के लिए उस संघर्ष को जारी रखें। किसी महापुरुष के सिद्धांत के अनुरुप आचरण ही उसको सच्ची श्रद्धांजलि है।

(‘आर्यावर्त’, 31 मई, 1987 तथा ‘धर्मयुग’, जून 1987)