इंदिरा गांधी


दिनांक: 22 जनवरी, 1985

विषय-भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निधन के पश्चात् शोक-संवेदना पर।

श्री कर्पूरी ठाकुर-अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की बर्बर एवं निर्ममतापूर्ण हत्या अत्यंत दर्दनाक और बेहद शर्मनाक घटना है। दर्दनाक इसलिए कि इस देश की ही नहीं, बल्कि संसार की वे एक महान् महिला थीं, जिनके साहसपूर्ण, शौर्यपूर्ण, संघर्षशील एवं ऐतिहासिक जीवन का अंत हो गया। शर्मनाक इसलिए कि प्रधानमंत्री के प्रशासन में अपने ही प्रधानमंत्रित्व में उनके अपने जीवन की रक्षा नहीं हो सकी। प्रशासन अक्षम सिद्ध हुआ, अयोग्य सिद्ध हुआ और निकम्मा सिद्ध हुआ। खुफियागीरी की अयोग्यता और प्रशासन की अचमता संसार में प्रमाणित हो गई। वरना प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की कीमती जिंदगी का अंत नहीं होता। श्रीमती इंदिरा गांधी के विद्यार्थी जीवन को ‘ए फादर लेटर्स टू हीज डोटर्स’ से प्रशिक्षित किया गया था और देश तथा संसार को देखने के लिए दूरदृष्टि प्रदान की गई थी। श्रीमती इंदिरा गांधी को न केवल आज का बल्कि आगे आनेवाला भारत और संसार साम्राज्यवादी के रूप में चित्रित करेगा, संसार चित्रित करेगा उन्हें गुटनिरपेक्ष का एक सफल संगठनकर्ता के रूप में, गुटनिरपेक्ष को सफल बनानेवाला के रूप में चित्रित करेगा तमाम गुलाम मुल्कों की आजादी के लिए लड़नेवाली महिला के रूप में, चित्रित करेगा विश्वशांति के प्रधान के रूप में। श्रीमती इंदिरा गांधी अत्यंत बहादुर महिला थीं। साहस, शौर्य उनके जीवन में कूट-कूटकर भरा हुआ था। वे लापरवाह रहती थीं और किसी की परवाह नहीं करती थीं। औरत में सचमुच मर्द थीं। संसार में ऐसी महिला बहुत कम मिलती हैं, न केवल 50-100 साल के इतिहास में, बल्कि सदियों के इतिहास में। श्रीमती इंदिरा गांधी खतरों से खेलना और जोखिमों से जूझना जानती थीं।

एक अवसर पर नहीं, अनेक अवसरों पर श्रीमती इंदिरा गांधी को हम लोगों ने अपने देश में ही नहीं, दुनिया ने देखा और परखा था। ऐसी महान् महिला को खोकर हमारा देश दीन बन गया है, देश ही नहीं, संसार दीन बन गया है। उस महान् महिला के प्रति, उस देशभक्त महिला के प्रति अपने और अपने दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उनके शोक-संतप्त परिवार को आपके माध्यम से संवेदना भेजते हुए हम सब संकल्प लेते हैं कि इस देश को एक रखने में, देश को नेक बनाने में, इस देश को खुशहाल और सुदृढ़ बनाने में और इस देश को सचमुच समृद्ध बनाने में हम सब एकजुट हो साथ देंगे। साथ-ही-साथ इसकी अखंडता एवं इसे शक्तिपूर्ण बनाने में एकजुट होकर कंधे-से-कंधे मिलाकर हम काम करेंगे और योगदान करेंगे, इसका संकल्प हम लेते हैं। इन्हीें शब्दों के साथ हम अपनी ओर से और अपने दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।